एहसास
जाने आज ऐसा क्यों एहसास हुआ जी रहे थे हम आंखें बंद किये | खुशियों के आने पर भी खुश नहीं थे हम | किसी और की कामयाबी को बनाकर अपना जी रहे थे हम | आखे खुली तो देखा हमारे सपने मुस्कुरा रहे थे हमपर| दिल ने कहा हमसे देर नहीं हुई इतनी की तुम मुरझा गए हो फुल भी सूरज की आखरी किरण तक खिलते है | रास्ते वही है, सफ़र वही फिर क्यूँ तुम सोच में दुबे हो उठाओ बिस्तर, भुलाओ बीते पल और ढूंड लो अपनी मंज़िल | क्यों दिल धडक ता है जोरो से सोच कर चल रहे हम अकेले| जब की मंजिल की शुरुआत में हम थे बिलकुल अकेले| सफ़र के सहरो ने दिखाए इतने बरे सपने की अपने प्यारे सपने लगने लगे छोटे दिमाग ने कहा चलते रहो उधर मुनाफा है जिधर| दिल ने कहा पूरे कर अपने सपनो को जितने भी हो वह छोटे |