तलाश

जिंदगी थी बढ़ी उदाश
जिसमे थे बढे बढे ख्वाब
ख्वाबो को पूरे करने की थी तलाश
जीवन हो न जाये व्यर्थ
डर था बस यही हर वक़्त
बनानी थी अपनी एक पहचान
जिससे हो हमे बढ़ा अभिमान
भरने है हमे जीवन में इतने रंग
की खिल उठे हम अपने सपनों के संग
जीना है कुछ इस तरह
की मुस्कुराएँ हम हर एक पल
भुलादे हम हर एक गम
सिखा हमने बनाओ अपने
कर्तव्य को अपना अभिमान
फिर दुनिया भुला न पायेगी
चाह कर भी तुम्हारी पहचान
जिंदगी जितनी भी हो उदाश
सपने देखो तुम हर एक रात

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